माँ
एक
ही शब्द काफी है परिभाषित करने के लिए,
पुत्र
का प्यार ही है उसे सुशोभित करने के लिए ।
बिन
कहे ही समझ जाती वो दिल की हर बात,
अपने
आँचल मे वो कर लेती सबको आत्मसात ।
जिसकी
वंदना करे सृष्टि के ब्रम्हा विष्णु महेश,
वो
कैसे कर सकती है घर मे कोई क्लेश ।
उसके
बिना लगे घर आँगन हमेशा सूना,
उसके
होने से ही खुशियाँ हो जाती दूना ।
हमेशा
रक्षा करती उसकी दुआएँ बन मजबूत ढाल,
जब
भी कोई बलाएँ हो पड़ती आन ।
हर
मुश्किल का हँस कर लेती सामना,
ना
कभी रखे वो मन मे कोई दुर्भावना ।
जिसका
संबल ही हो पुत्र का आधार,
जिसके
संस्कार, चरित्र और हो उच्च विचार ।
उस
देवी को करता हूँ नमन बारंबार,
उसके
चरणों मे अर्पित धवल पुष्पहार ।
© तरुण आनंद
Nice line about every mother
ReplyDeleteReally touching
ReplyDeleteNice
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