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Showing posts from July, 2020

अनमोल रिश्ता

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                     जिस दिन का बेसब्री से रहता हर प्यारी बहना को इंतजार , उस दिन को हम कहते है रक्षा बंधन का त्योहार ।   कभी लड़ाई तो कभी मनुहार भाई बहन का ऐसा ही प्यार, इस रिश्ते का ना कोई मोल   ऐसा ही है राखी का त्योहार । माँ बनाती पुए पकवान भाई आज बना शैतान, बहना राखी बांधने को    है सुबह से ही परेशान ।  रेशम के इस धागे मे बसा है प्यारी बहना का दुलार, ये पवित्र रिश्ता है ऐसा मिट जाए लम्हो का एहसास । जिसकी नहीं है कोई बहना सारा जीवन है उसे दुख सहना, कमी ऐसी खलती है उसे की जैसे कम हो अपना एक गहना ।

चुभन

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चुभन पुरानी साड़ियों के बदले बर्तनों के लिए मोल भाव करती सम्पन्न घर की महिला ने अंततः दो साड़ियों के बदले एक टब पसंद किया । "नही दीदी , बदले में तीन साड़ियों से कम तो नही लूँगा ।" बर्तन वाले ने टब को वापस अपने हाथ में लेते हुए कहा । "अरे भैया , एक एक बार की पहनी हुई तो हैं....... बिल्कुल नयी जैसी । एक टब के बदले में तो ये दो भी ज्यादा हैं ,   मैं तो फिर भी दे रही हूँ। "नही नही , तीन से कम में तो नही हो पायेगा " वह फिर बोला। एक दूसरे को अपनी पसंद के सौदे पर मनाने की इस प्रक्रिया के दौरान गृह स्वामिनी को घर के खुले दरवाजे पर देखकर सहसा गली से गुजरती एक अर्द्ध विक्षिप्त महिला ने वहाँ आकर खाना माँगा...। आदतन हिकारत से उठी महिला की नजरें उस महिला के कपड़ो पर गयी....। अलग अलग कतरनों को गाँठ बाँध कर बनायी गयी उसकी साड़ी उसके युवा शरीर को ढँकने का असफल प्रयास कर रही थी...। एकबारगी उसने मुँह बिचकाया पर सुबह सुबह का याचक है सोचकर अंदर से रात की बची रोटियां मंगवायी । उसे रोटी देकर पलटते हुए उसने बर्तन वाले से कहा "तो भैय्या क्या सोचा ? दो साड़िय

भारतीय रेल को समर्पित

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भारतीय रेल को समर्पित रुकी वो इसलिए की प्राण बच जाए, चली भी वो इसलिए की प्राण बच जाए । बनाया खुद को अस्पताल, क्योंकि जिंदगी का सवाल बच जाए । बच्चों को लेकर चली, की नई पीढ़ी का नौजवान बच जाए । चली मज़दूरों को लेकर, की पसीने का मान बच जाए । दौड़ेगी जल्द ही देश की धड़कन, फिक्र सिर्फ इतनी की अपना हिंदुस्तान बच जाए । जय हिन्द, जय भारतीय रेल ।