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Showing posts from April, 2020

भाग्य की लिखावट

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भाग्य की लिखावट ज्योति ............ बिलकुल , ज्योति ही नाम था उसका । 16 वर्ष की उम्र , मासूम पर गंभीर , साँवले रंग की नाटे कद काठी की वो साधारण सी दिखने वाली वास्तव मे कर्मठ , जीवट , हिम्मती एवं मेहनती लड़की थी । चार बहनो नेहा , शबनम व नंदनी मे वो दूसरे नंबर पर थी । वक़्त के थपेड़ो ने उसके चेहरे की मासूमियत को उतार फेंका था और समय से पहले ही उसे काफी मजबूत और परिपक्व कर दिया था । चारों बहनों मे ज्योति काफी समझदार थी। जहाँ वो अपने माता पिता के लिए आदर्श थी वही अपनी बहनो के लिए रक्षा कवच थी । वो पढ़ने मे भी काफी तेज थी , पर कम उम्र मे ही उसे दुनियादारी की पूरी समझ हो चुकी थी और उसने अपने बचपन को जीने की चाहत को छोड़ अपनी सारी इच्छाओ को अपने परिवार के खातिर बलि दे दी । ज्योति के माता पिता की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय थी , उन पर चार बच्चो की परवरिश का बोझ था जिस कारण वो हमेशा चिंतित रहा करते थे । चूंकि चारों लड़कियां ही थी , सो उनके शादी की चिंता भी खाये रहती थी उन्हे । इस चिंता के कारण ज्योति के पापा हमेशा तनावग्रस्त व बीमार रहा करते थे । ज्योति के पापा एक प्राइवेट कंपनी मे का

चौबे चले छब्बे बनने, दुबे बन कर लौटे

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चौबे चले छब्बे बनने , दुबे बन कर लौटे जब से ई मुआ कोरोना आया है तब से चौबाइन बड़ी परेशान है । चौबाइन अपने घर के अंदर से कोरोना को गरियाते हुये बाहर निकली तो कुछ लौंडे लपारिए निहायत ही निठल्ले से उसके घर के सामने मटरगश्ती करते नजर आए । अब चौबाइन का माथा गरम हो गया , तन बदन मे आग भभक उठी । उसने उन लौंडो की जम कर खबर ली , खूब गरियाने लगी , खरी खोटी सुनाने लगी । चौबाइन के इस अप्रत्याशित हमले और कोरोनो के बीच अचानक आए इस आपदा से उन लौंडो की तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी , घिग्घी बंध गयी । वे सब लौंडे चौबाइन के हमले से बच बचाकर गिरते पड़ते उस गली से भाग निकले । अब चौबाइन फिर से कोरोना को गरियाने लगी । ई मुआ कोरोना तो कही बैठने लायक भी नहीं छोड़ा , न घर से निकल सकते है , न किसी के यहाँ जा सकते है , न किसी से गप्पे लड़ा सकते है , न किसी से जी भर के लड़ सकते है और न ही किसी की चुगली कर सकते है । अब चौबाइन के पेट मे आदतन दर्द उठने लगा और जी भर के चीन को गरियाने लगी । सत्यानाश हो जाए इन चीन वालों का जो कीड़ा-पिल्लू , साँप-छुछुंदर , ऑक्टोपस –चमगादड़ सब को जिंदा गटक जाते है । इ