भाग्य की लिखावट
भाग्य की लिखावट ज्योति ............ बिलकुल , ज्योति ही नाम था उसका । 16 वर्ष की उम्र , मासूम पर गंभीर , साँवले रंग की नाटे कद काठी की वो साधारण सी दिखने वाली वास्तव मे कर्मठ , जीवट , हिम्मती एवं मेहनती लड़की थी । चार बहनो नेहा , शबनम व नंदनी मे वो दूसरे नंबर पर थी । वक़्त के थपेड़ो ने उसके चेहरे की मासूमियत को उतार फेंका था और समय से पहले ही उसे काफी मजबूत और परिपक्व कर दिया था । चारों बहनों मे ज्योति काफी समझदार थी। जहाँ वो अपने माता पिता के लिए आदर्श थी वही अपनी बहनो के लिए रक्षा कवच थी । वो पढ़ने मे भी काफी तेज थी , पर कम उम्र मे ही उसे दुनियादारी की पूरी समझ हो चुकी थी और उसने अपने बचपन को जीने की चाहत को छोड़ अपनी सारी इच्छाओ को अपने परिवार के खातिर बलि दे दी । ज्योति के माता पिता की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय थी , उन पर चार बच्चो की परवरिश का बोझ था जिस कारण वो हमेशा चिंतित रहा करते थे । चूंकि चारों लड़कियां ही थी , सो उनके शादी की चिंता भी खाये रहती थी उन्हे । इस चिंता के कारण ज्योति के पापा हमेशा तनावग्रस्त व बीमार रहा करते थे । ज्योति के पापा एक प्राइवेट कंपनी मे का...